By Surendra Prasad Singh on 10th जून 2019
हर बच्चे को सीखने को मिले, उसकी आवश्यकता के अनुसार उचित मात्रा में और समय पर मिले। हर बच्चे के अंदर नियमित स्वयं पढ़ने-सीखने की जिज्ञासा इस रूप में पनपे वह स्वायत्त सीखने वाला बने और अपने आप पढ़ते-सीखते हुए अपने तय जीवन लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ता रहे. उन्हें स्वयं के प्रयासों से हासिल करे। यह सब कुछ अच्छी पुस्तकों के ज़रिये आसानी से हासिल किया जा सकता है.